ज्योतिरादित्य सिंधिया के खिलाफ फिर यादव लड़ेंगे चुनाव, गुना में कांग्रेस ने क्यों चल भाजपा वाला दांव
गुना लोकसभा क्षेत्र की जनता एक बार फिर यादव बनाम सिंधिया का मुकाबला की गवाह बनेगी। एक ओर जहां कांग्रेस ने राव यादवेंद्र सिंह यादव को मैदान में उतारा है। वहीं, भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर दांव लगाया है। खास बात है कि 2019 में भी इस सीट पर यादव बनाम सिंधिया का मुकाबला देखा गया था, जिसमें तब कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़े रहे ज्योतिरादित्य को केपी यादव के हाथों हार का सामना करना पड़ा था।
गुना सीट समझें
गुना लोकसभा क्षेत्र में गुना, मुंगावली, कोलारस, बम्होरी, अशोक नगर, शिवपुरी, पिछौर और चंदेरी विधानसभा सीटें आती हैं। इनमें से 6 भाजपा और 2 कांग्रेस के पास है। माना जाता है कि यादव समुदाय के साथ यहां लोधी आबादी का भी दबदबा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, यहां आमतौर पर लोधी समुदाय को भाजपा का समर्थक माना जाता है।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से लिखा है कि कांग्रेस इस सीट से पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव को मैदान में उतारने का मन बना रही थी, लेकिन अंत में राव यादवेंद्र सिंह यादव के नाम पर सहमति बनी।
क्यों कांग्रेस ने चला यादव दांव?
इसकी कई वजह हो सकती हैं। क्षेत्र में यादव आबादी करीब ढाई लाख हैं। कहा जाता है कि 2019 में यादव मतों का एकसाथ आने का लाभ भाजपा को मिला था और गुना जैसी मुश्किल सीट पर केपी सिंह के जरिए कांग्रेस को मात दे दी थी। माना जा रहा है कि कांग्रेस भी यादव मतों को एकजुट करने की कोशिश कर सकती है।
अब यादवेंद्र भी राजनीतिक घराने से आते हैं। उनके पिता राव देशराज सिंह यादव तीन बार मुंगावली सीट से विधायक रहे। उन्होंने साल 1999 में भाजपा उम्मीदवार के तौर पर कांग्रेस उम्मीदवार दिवंगत माधवराव सिंधिया के खिलाफ चुनाव लड़ा था। हालांकि, उन्हें तब हार का सामना करना पड़ा था। माधवराव सिंधिया के निधन के बाद 2002 में वह उपचुनाव में फिर मैदान में उतरे, लेकिन तब ज्योतिरादित्य ने उन्हें परास्त कर दिया था। इधर, यादवेंद्र खुद विधानसभा चुनाव 2023 से पहले कांग्रेस में शामिल हो गए थे और मुंगावली से उम्मीदवार बने थे, लेकिन उन्हें बृजेंद्र यादव ने हरा दिया था।
भाजपा की तैयारियां
खबरें हैं कि भाजपा ने भी यहां 27 मार्च को अशोकनगर में यादव समाज का सम्मेलन आयोजित किया था। खास बात है कि आयोजन यादवेंद्र के नाम के ऐलान के अगले ही दिन आयोजित हुआ था। तब ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ-साथ कार्यक्रम में मुख्यमंत्री मोहन यादव और केपी सिंह भी शामिल हुए थे।